पुलवामा में पाकिस्तान समर्थित जैश-ए-मोहम्मद के हमले के बाद भारत द्वारा जवाबी कार्रवाई के ऐलान से डरे हुए तथाकथित उदारवादी और तथाकथित बुद्धिजीवी लगातार शांति की अपील करते आ रहे है, तथा देश की जनता को शांति रखने और खून खराबा नही करने की नसीहत देते आ रहे है| ये उनकी शांति की अपील नही बल्कि उन आतंकवादियो का बचाव करने की मुहीम थी| ये सर्वविदित है | लेकिन भारतीयों के गुस्से का उबाल अभी थमा भी नही है कि ये तथाकथित शांतिदूत अपनी असलियत पर आ गये, जिसके लिए वो जाने जाते है|
दरअसल हुआ यूँ कि दिल्ली के विधायक और प्रखर राष्ट्रवादी कपिल मिश्रा ने पुलवामा मामले पर अपना गुस्सा दिखाते हुए ट्विट किया कि- ''पुलवामा का बदला सिर्फ एक सर्जिकल स्ट्राइक या दुश्मन के 40-50 सिपाही मार देने से नही आयेगा बल्कि आतंकवाद की कोख को ख़त्म कर देने से आयेगा '' दरअसल यहाँ आतंकवाद की कोख का मतलब पाकिस्तान से था |
फिर क्या था कपिल मिश्रा का ये बयान आते ही तथाकथित बुद्धिजीवी लोग भड़क गये और अपने पाकिस्तान प्रेम में देशविरोधी बयान देने लगे | दिल्ल्ली की आम आदमी पार्टी की विधायक ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से ही शांति की अपील कर डाली | उन्होंने ये शांति की अपील तब की जब पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियो ने भारत के 41 सैनिको को शहीद कर दिया| प्रधानमंत्री मोदी को हिटलर बोलने वाली इस अलका लाम्बा ने उस देश के प्रधानमंत्री के से शांति की अपील कि है जिसे पूरी दुनिया आतंक का गढ़ मानती है|
कपिलमिश्रा के इस बयान पर पूरी लिबरल गैंग टूट पड़ी | फिल्म इंडस्ट्री से फराह खान, कोलमनिस्ट सागरिका घोष सहित कविता कृष्णन ने भी कपिल मिश्रा को देश के टुकड़े करने वाला घोषित कर दिया |
फ्री सेक्स के लिए आन्दोलन करने वाली कविता कृष्णन तो कपिलमिश्रा के विरोध में इतनी अंधी हो गई कि पाकिस्तान पर कार्रवाई करने पर गृहयुद्ध की धमकी दे डाली| कविता कृष्णन ने कहा कि- '' पाकिस्तान पर हमला करना और पाकिस्तान को ख़त्म करने की बात करना एक नरसंहार है |कोख तो माँ की होती है और आप पाकिस्तान को आतंकवाद की कोख बोलकर बच नही सकते | दरअसल आप भारत में ही दंगा कराने की कोशिश में
कविता कृष्णन के इस बयान से एकबात तो स्पष्ट हो गई है कि अगर भारत पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करता है तो कौन भारत में दंगे करवाएगा | ये एक प्रकार की धमकी है हिंदुस्तान को हिन्दुस्तानियो को कि अगर भारत पाकिस्तान से युद्ध करता है तो भारत में गृह युद्ध छेड़ दिया जायेगा |
ये कैसी मानसिकता है जो भारत में रहकर भारत का ही विरोध कर रही है| क्या ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नही होनी चाहिए ? अगर होनी चाहिए तो भारत के सिस्टम में कोनसी ताकत रोक रही है हमारी सरकारों को ? ये एक गंभीर और चिंताजनक विषय है |
right
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