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बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील को लेकर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई हुई | भारत सरकार के अटोर्नी जनरल ने राफेल डील के कुछ अहम् दस्तावेज़ चोरी होने की दलील दी है | अटोर्नी जनरल का कहना है कि रक्षा मंत्रालय से राफेल डील को लेकर कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ चोरी हो गये है और सरकार इसकी जाँच कर रही है |
अटोर्नी जनरल की ये दलील उन लोगों पर भारी पड़ सकती है जो अबतक मोदी सरकार पर राफेल डील को लेकर आरोप लगा रहे थे | जिसमें विपक्ष के साथ साथ वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और ''द हिन्दू '' पत्रिका के संपादक एन राम पर गाज गिरने की पूरी संभावना है |
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले पत्रिका ''द हिन्दू'' ने राफेल डील सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज तोड़ मरोड़कर सार्वजनिक किये थे जिस पर रक्षा मंत्रालय ने सफाई दी थी | इन दस्तावेजों को सार्वजनिक करने और रक्षामंत्रालय से चोरी करने में द हिन्दू के संपादक एन राम और वकील प्रशांत भूषण की मुख्य भूमिका रही थी |
अटोर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता द्वारा पेश किये गये दस्तावेज रक्षामंत्रालय से चुराये गये है और विपक्ष द्वारा दी जा रही दलीलें इन्ही चोरी किये गये दस्तावेजों पर आधारित है | अटोर्नी जनरल ने कहा कि ऐसे गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक करना आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन है तथा यह दण्डनीय अपराध है | ऐसा करके याचिकाकर्ता ने कोर्ट की अवमानना की है |
हालाँकि एन राम को ये दस्तावेज कहाँ से मिले थे और कैसे मिले थे इसका खुलासा करने से एन राम ने साफ इंकार कर दिया है | एन राम का कहना है कि वो किसी भी कीमत पर उस सूत्र का नाम नहीं बतायेगे जिसने ये दस्तावेज उपलब्ध कराए थे | ऐसे में सरकार एन राम और उनके अख़बार पर भारत सरकार के रक्षा सम्बंधित दस्तावेज चुराने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई करने की तैयारी में है | साथ है इन दस्तावेजों को चुराने वालों और इसमें मदद करने वालों के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है |
बेकार विपक्ष
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