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न्यूज़ीलैण्ड आतंकवादी हमले के बाद मोदी को दोष दे रहा है एजेंडा मीडिया |



शुक्रवार को न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च शहर की दो मस्जिदों पर आतंकवादी हमला हो गया जिसमे करीब 49 निर्दोष लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल है | सुनियोजित इस कायराना हमले की पुरे विश्व में आलोचना हो रही है और पूरी दुनिया में इस हमले को लेकर गुस्सा है |

इसी कड़ी में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस हमले पर दुःख जताते हुए न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्ड्नर को पत्र लिखा |   एक आधिकारिक वक्तव्य के अनुसार पीएम मोदी ने अपनी चिट्ठी में क्राइस्टचर्च में जघन्य हमले में मारे गए लोगों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की और घायलों के जल्दी स्वस्थ होने की कामना की है |

पीएम मोदी ने इस कठिन घड़ी में न्यूजीलैंड के मित्रवत लोगों के प्रति पूरी एकजुटता व्यक्त की. प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि भारत आतंकवाद के हर स्वरूप और ऐसे कार्यों का समर्थन देने वालों की कड़ी निंदा करता है| 

लेकिन कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी लोग अपनी गन्दी मानसिकता लेकर पीएम मोदी पर हमलावर हो गये | अपनी घटिया मानसिकता का परिचय देते हुए इन लोगों का कहना था कि पीएम मोदी ने क्राइस्टचर्च आतंकी हमले में मारे गये लोगों के लिए संवेदना व्यक्त नहीं की और ना ही कोई ट्विट किया है | इस पर सबसे पहली प्रतिक्रिया अपने आपको पत्रकारिता का मसीहा समझने वाले पत्रकार अभिषार शर्मा की आई | उन्होंने लिखा कि क्राइस्टचर्च हमले पर वो मोदीजी के ट्विट का इंतजार कर रहे है |
जबकि मोदीजी न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री को ख़त लिख चुके थे | 

इसके बाद बहुत सारे लिबरल्स के ट्विट की झड़ी लग गई कि मोदी जी ने न्यूजीलैंड हमले पर ट्विट क्यूँ नहीं किया | बीबीसी के पूर्व पत्रकार रिफत जावेद ने तो हद ही कर दी, उन्होंने मोदी के ट्विट ना करने पर मोदी को मुस्लिम विरोधी बता दिया|
इसके साथ ही पत्रिका ''द वायर '' की आरफा खानुम शेरवानी ने भी मोदी को मुस्लिम विरोधी बताते हुए खूब खरी खोटी सुनाई | सागरिका घोष ने इस हमले को राईट विंग का हमला करार दिया | जी हाँ सागरिका जी के हिसाब से जो लोग वामपन्थी विचारधारा के नहीं है वो लोग आतंकवादी है और वही लोग इस हमले जिम्मेदार है |

इतने बड़े पत्रकारों और तथाकथित बुद्धिजीवियों के लिए ये भाषा कहाँ तक उचित है | इनकी  बातों से लगता है कि ये लोग मुस्लिम समुदाय में मोदी के प्रति ऐसी भावना पैदा करना चाहते है जिससे मुस्लिम समुदाय मोदी का नाम सुनते ही उनसे नफरत करने लगे | और इस अजेंडे में ये लोग काफी हद तक सफल हो रहे है |

कुछ लोग लगातार मोदी के खिलाफ लोगों को भड़काने का काम कर रहे है विशेषकर मुस्लिम समुदाय को अपना शिकार बना रहे है जिसमें वो सफल भी हो रहे है |

क्या न्यूजीलैंड में हुए आतंकी हमले के लिए एक ट्विट ही इस समस्या का समाधान है या फिर एक ट्विट ही उन निर्दोष लोगों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है | क्या उन निर्दोषों की जान की कीमत सिर्फ एक ट्विट ही है | जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में साथ खड़े रहने की बात कही है और इस हमले की कड़ी निंदा की है |

लेकिन इन लोगों को तो मोदी में कमी निकालनी है, मोदी को दोष देना है ना कि उन निर्दोष लोगों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करनी है |

पत्रकारिता अपनी जगह है और इंसानियत अपनी जगह है | निर्दोष लोगों को धर्म के आईने से ना देखकर इंसानियत के आईने से देखेंगे तो हम उन्हें इन्साफ दिला पाएंगे |

ये हमला किसी धर्म या मस्जिद पर नहीं हुआ है, ये हमला इंसानियत पर हुआ है | और हमें इंसानियत के दुश्मनों के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा |

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