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क्या अपने ही जाल में फंस रहा है महागठबंधन !



संवैधानिक संस्थाओ के दुरूपयोग का आरोप पूरा विपक्ष भले ही नरेन्द्र मोदी की सरकार पर लगा रहा हो लेकिन पूरा महागठबंधन अपने ही जल में फंसता नजर आ रहा है |

 गौरतलब है हाल ही में शारदा चिटफंड घोटाले को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और  सीबीआई का घमासान देखा गया |

वही दूसरी तरफ अवैध खनन घोटाले को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और तत्कालीन हमीरपुर डीएम बी.चन्द्रकला से सीबीआई ने पूछताछ चल रही है |

जमीन घोटालो और मनी laundering को लेकर रोबर्ट वाड्रा से E.D. पूछताछ कर रही है |

इसी तरह हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बसपा सुप्रीमो मायावती को मूर्ति घोटाले में खर्च हुए रूपये वापस सरकारी खजाने में जमा करने का  आदेश दिया है |

लेकिन आपको बता दे कि ये सभी जांचे और पूछताछ न्यायपालिका के आदेश पर चल रही है और इन घोटालों पर पहली बार आरोप भी अगर किसी ने लगाया था तो वो इन्ही पार्टियों या इन्ही लोगो द्वारा लगाये गये थे जो अभी महागठबंधन में शामिल है | लेकिन फिर भी ये लोग मोदी सरकार और भारत की सरकारी एजेंसियों और न्यायपालिका पर सवाल खड़े कर रहे है |

आइये आपको बताते है इन सभी घोटालों पर पहली बार कब और किसने शिकायत दर्ज करवाई :

1 शारदा चिटफंड घोटाला :  करीब  400000 हजार करोड़ का शारदा चिटफंड घोटाला 2012 में सामने आया |
  ममता बनर्जी की राज्य सरकार ने इस घोटाले की जाँच के आदेश दिए | तत्कालीन विध्याधर नगर कमिश्नरेट के सीपी राजीव कुमार { वर्तमान कोलकाता पुलिस कमिश्नर } के नेतृत्व में SIT का गठन किया | जी हाँ इस घोटाले की जाँच खुद ममता बनर्जी ने शुरू करवाई थी | फिर अप्रैल 2014 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया जिस समय UPA की केंद्र में सरकार थी और सुप्रीम कोर्ट ने शारदा चिटफंड घोटाले की जाँच सीबीआई को सौंप दी | मजे की बात यह है की ममता बनर्जी खुद जाँच के आदेश देकर खुद ही विरोध में खड़ी हो गई है और आरोप केंद्र सरकार पर लगा रही है | 

2. सुश्री मायावती का मूर्ति घोटाला :2012 उत्तर प्रदेश में अखिलेश. यादव की सरकार बनते ही  पूर्व  मुख्यमंत्री सुश्री मायावती पर अखिलेश सरकार  ने मूर्ति घोटाले का आरोप लगाया | अखिलेश सरकार  का पुलिस ने मूर्ति घोटाले के मामले में UP राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड पर छापा मारा जिसमे अफसरों और ठेकेदारों के बीच मिलीभगत के डाक्यूमेंट्स मिले थे | 
लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा तैयार रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा पार्क और मूर्तियों पर कुल 5919 करोड़ रुपये खर्च किये थे | तथा 5634 कर्मचारी लगाये थे इनके रखरखाव के लिए | इस तरह ये भी मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया | 

3. अखिलेश यादव का अवैध खनन घोटाला :  जुलाई 2012 में अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री बनते ही हमीरपुर जिले के मौरंग में तत्कालीन , हमीरपुर डीएम बी चन्द्रकला ने अवैध खनन . पट्टे जारी किये|जिसे बाद  
में 16 अक्टूबर 2016 को सामाजिक कार्यकर्ता विजय द्विवेदी की शिकायत पर हाईकोर्ट ने रद्द के दिए और अवैध खनन की जाँच सीबीआई को सौंप दी |

4. रोबर्ट वाड्रा का जमीन घोटाला : 2005 में केंद्र की यूपीए सरकार ने रोबर्ट वाड्रा का नाम देश विदेश में मुक्त सुरक्षा जाँच की सूचि में डलवा  दिया |  जिस पर खूब हंगामा हुआ कि रोबर्ट वाड्रा का सरकार में कोई भूमिका नही होने पर भी ये सुविधा क्यों दी जा रही है | 
अमेरिकी अख़बार वाल स्ट्रीट जर्नल में खबर छपी थी कि रोबर्ट वाड्रा 2007 में एक लाख रुपये से बिज़नस शुरू करके 2012 में कैसे तीन सौ करोड़ का मालिक बन गया | जबकि इस वक्त पुरे विश्व में मंदी का दौर चल रहा था |
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले india against corruption चला रहे अरविन्द केजरीवाल , प्रशांत भूषण और उनके पिता शांति भूषण ने रोबर्ट वाड्रा और रियल एस्टेट कंपनी DFL पर जमीन घोटालो और मनी laundering के आरोप लगाये थे और शिकायत की थी | उसी को आधार मानकर सुप्रीमकोर्ट ने वाड्रा पर जाँच के आदेश दिए थे | 
लेकिन ये सभी आरोप लगाने वाले आज महागठबंधन में एकसाथ खड़े नजर आ रहे है | और एकदूसरे द्वारा लगाये गये आरोपों में ही घिरते नजर आ रहे है | 

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